प्रकाशितवाक्य 21:1 - कुल्वी1 फिरी मैं नोंऊँआं सर्ग होर नोऊँई धौरत हेरी किबैकि पैहला सर्ग होर पैहली धौरत जाँदी रौही होर समुन्द्र भी नी रौहू। Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 तेखअ भाल़अ मंऐं नऊंअ सरग और नऊंईं पृथूई किल्हैकि पैहलअ सरग और पृथूई हुई खतम और समुंदर बी निं रहअ। (याशायाह 66:22) Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 तेबा मांई नऊअ स्वर्ग होर नउंई धरती हेरी, किबेकि पहिले धरती होर सरग खत्म होई मुके थी, होर ना कोई समुन्दर भी नांई रहू थी। Faic an caibideil |