प्रकाशितवाक्य 17:8 - कुल्वी8 ज़ो पशु तैं हेरू, ऐ पैहलै ती पर ऐबै नी ऑथि होर नरका रै कुण्डा न निकल़िया विनाशा न पौड़ना होर धौरती न रौहणु आल़ै ज़ुणिरै नाँ दुनिया री उत्पति रै बौक्ता न लेइया ज़िंदगी री कताबा न नी लिखुऐ ऐई पशु री दशा हेरिया हैरान होंणा कि पैहलै ती होर ऐबै नी ऑथि होर फिरी ऐणा। Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान8 “ज़हा पशू तूह एभै भाल़अ आसा लागअ द, अह रहा त पैहलै पर ऐबै निं रहणअ, अह निखल़णअ नथहऐ कूंडा का बागै और परमेशरा करनअ अह ऐबै सदा लै खतम। तेखअ पृथूई दी रहणैं आल़ै ज़सरै नांअ संसारे मूल़ हणें बगती ज़िन्दगीए कताबा दी निं आथी लिखै दै, ज़ांऊं तिन्नां एऊ पशूए दशा भाल़णीं ता तिंयां प्राछणैं। अह रहा त पैहलै और एभै निं अह आथी पर अह एछणअ एकी बारी भी। (प्रगट की दी गल्ला 17:11) Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम8 जोह जानवर ताई हेरू साहा, पर एवा नांई अानथअ होर अथाअ कुंडा का निख्ली करे नाशा में पडण होर धरती में रहण आले ज़ासरे ना संसारा री उत्पति रे वक्ते जीबना री कताबा में नांई लिखीदे, एउ जानबरा री यह दशा हेरी करे कि पहिले थी एवा नांई; होर तेहुकि भी का इहणा होर तेऊकी भी का ईहणा चिन्ह हुणी। Faic an caibideil |
होर मैं मूँऐंदै लोका हेरै ज़ो खास होर आम लोका ती, तेई सिंहासना सामनै खड़ै ती। ज़ो लोका समुन्द्रा न डूबिया मूँऐं ती, ते भी ज़ो कब्रा न पौड़ै ती, ज़ेतरै लोका मूँऐंदै री ज़ैगा न ती ते सैभ तेई सिंहासना सामनै खड़ै हुऐ। सौ कताब ज़ुणिन तिन्हां लोकै रै नाँ लिखै ती ज़ौसा हागै ज़िन्दगी ती ज़ुणिरा कोई अंत नी ती खोलुई। ज़ौस कताबा न लिखू ती की लोकै कि केरू सौ भी खोलुई, हर एकी रा तिन्हरै कोम रै मुताबक न्याय केरू ज़ो कताबा न लिखुआँदा ती।