प्रकाशितवाक्य 17:2 - कुल्वी2 ज़ुणी सैंघै धौरती रै राज़ै व्यभिचार केरू होर धौरती न रौहणु आल़ै तेसरै व्यभिचारै री मदिरा पिईया मतवालै हुऐ।” Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान2 ज़हा संघै पृथूईए कई राज़ै कंझ़रूऐ और ज़सरै कंझ़रनै करै पृथूई दी रहणैं आल़ै छ़ोतलै हुऐ तै।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम2 जासु संघे धरती रे राजा भी व्यभिचार करू थी, होर धरती रे रहण आले तेसा संघे ब्यभिचारा रे मदिरा कअ मता आले होई दे थी। Faic an caibideil |