प्रकाशितवाक्य 17:1 - कुल्वी1 ज़ुणी सौत स्वर्गदूता हागै सौत कटोरै ती तिन्हां न एकियै एज़िया मुँभै बोलू, “ओरु एज़, मूँ तौभै तेसा बड़ी वेश्या री बड़ी सज़ा रिहाणी ज़ो बोहू पाणी पैंधै बेठी सा। Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान1 ज़हा सात स्वर्ग दूता का तिंयां सात लोहदी आसा ती, तिन्नां मांझ़ै बोलअ एकी ज़ण्हैं मुंह सेटा लै एछी करै, “ओर्ही एछ, हुंह रहैऊं ताखा तेसा बडी कंज़री बेटल़ीए सज़ा, ज़ुंण खास्सै पाणीं दी आसा बेठी दी। Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम1 जासु स्वर्गदूता सेटा त्याह सात कटोरे, थी त्याह में एछी करे एकये महा सेटा बोलू, ओरी ईच्छ, हाऊं ताहबे बडी वैश्य रा दण्ड रिआऊ, जोह बहू पाणी में वैठी दी साहा। Faic an caibideil |