प्रकाशितवाक्य 13:4 - कुल्वी4 होर ते तेई अजगरा बै पूज़दै लागै किबैकि तेइयै आपणा अधिकार तेई पशु बै धिना ती, होर ऐ बोलिया पशु री पूजा केरी, “ऐई पशु सांही कुण सा? होर ऐण्ढा कुण सा ज़ो ऐई सैंघै लड़ी सकला?” Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान4 तिंयां लागै तेसा बडी दानुईंए भगती और पूज़ा करदै, किल्हैकि तैहा दैनअ त तेऊ पशू लै आपणअ हक। तिन्नैं की इहअ बोली करै तेऊ पशूए पूज़ा कि, “एऊ पशू बराबर शगती आल़अ निं कोहै आथी और एऊ संघै निं कोहै जुध करी सकदअ।” Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम4 लोका अजगरा री पूजा करी, किबेकि तेऊए तेऊ जानबरा वै आपणे अधिकार दिने थी, होर यह बोली करे ज़ानबरा री पूजा करी, एऊं जनबरा जेह कुण साहा? कुण एऊ संघे लड़ी सका। Faic an caibideil |
होर बाकि मांहणु ज़ो पैहलै तिन्हां महामारी सैंघै नी ती मूँऐ, तिन्हैं हाज़ी भी आपणै बुरै कोमा न मन नी बदलू। ते तिन्हरी हत्या, टूणा, व्यभिचार होर चोरी केरनै न मन नी बदलदै। तिन्हैं बुरी आत्मा होर आपणै हौथा न बणाईदी च़ीजा पूजा केरनी नी छ़ौड़ी, ज़ैण्ढै कि मूर्ति बै सुनै या च़ाँदी रै पीतल या लकड़ी सैंघै बणाईया सी। ते मूर्ति ज़ो न ता हेरी सकदी, न शुणी सकदी, न च़ली सकदी।