प्रकाशितवाक्य 10:4 - कुल्वी4 होर ज़ैबै सौत शब्द शुणुऐ ता हांऊँ लिखदा ती पर मैं स्वर्गा न ऐ शब्द शुणू कि, “ज़ो गैला ग्रिंज़णै रै सौत शब्दा न शुणी सी, तिन्हां बै गुप्त रख होर लिखदा मत।” Faic an caibideilबाघली सराज़ी नऊंअ बधान4 ज़ांऊं सात बारी गुल़ूबिज़ल़ू बोली मुक्कै, ता मंऐं हेरअ त तेते बारै तेभी लिखी लाई पर स्वर्गा का शूणअ मंऐं तेसा ई घल़ी एक इहअ बोल, “ज़ुंण तंऐं ईंयां गुल़ूबिज़ल़ू संघै बोल शूणैं, इना निं लिखी, इना डाहै गुप्त।” (दानिएल 8:26; 12:4) Faic an caibideilईनर सराजी मे नया नियम4 जेबा सात ज़ोरे-ज़ोरे बोलने रे शब्द शूणी मुके, पर हाऊं लिखण आलअ, पर मांई स्वर्गा का यह शब्द शुणु, जोह गला जोरे संघे सात शब्द शूणी त्याह होरी सेटा नांई खोजे होर यह नांई लिखे। Faic an caibideil |