मुकाशफ़ा 7:9 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 20199 इन बातों के बाद जो मैंने निगाह की, तो क्या देखता हूँ कि हर एक क़ौम और क़बीला और उम्मत और अहल — ए — ज़बान की एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई शुमार नहीं कर सकता, सफ़ेद जामे पहने और खजूर की डालियाँ अपने हाथों में लिए हुए तख़्त और बर्रे के आगे खड़ी है, Faic an caibideilउर्दू हमअस्र तरजुमा9 इस के बाद जब मैंने निगाह की तो देखता हूं के हर क़ौम, हर क़बीला, हर उम्मत और अहल-ए-ज़बान की एक ऐसी बड़ी भेड़ मौजूद है जिस का शुमार करना मुम्किन नहीं, ये सब सफ़ैद जामे पहने हुए और हाथों में खजूर की डालियां लिये हुए तख़्त-ए-इलाही के आगे और बर्रे के रूबरू खड़े थे। Faic an caibideilकिताब-ए मुक़द्दस9 इसके बाद मैंने एक हुजूम देखा जो इतना बड़ा था कि उसे गिना नहीं जा सकता था। उसमें हर मिल्लत, हर क़बीले, हर क़ौम और हर ज़बान के अफ़राद सफ़ेद लिबास पहने हुए तख़्त और लेले के सामने खड़े थे। उनके हाथों में खजूर की डालियाँ थीं। Faic an caibideil |