29 फिर नफ़्ताली का क़बीला हो, और 'एनान का बेटा अख़ीरा' बनी नफ़्ताली का सरदार हो;
29 तीसरे, नफ़ताली का क़बीला जिसका कमाँडर अख़ीरा बिन एनान था,
तब राख़िल ने कहा, “मैं अपनी बहन के साथ निहायत ज़ोर मार — मारकर कुश्ती लड़ी और मैंने फ़तह पाई।” इसलिए उसने उसका नाम नफ़्ताली रख्खा।
नफ़्ताली के क़बीले से अख़ीरा' बिन 'एनान।”
और नफ़्ताली के क़बीले के लश्कर का सरदार एनान का बेटा अख़ीरा' था।
और उसके दल के लोग जो शुमार किए गए थे वह, इकतालीस हज़ार पाँच सौ थे।
और उसके दल के लोग जो शुमार किये गए, वह तिरपन हज़ार चार सौ थे।
और बारहवें दिन 'एनान के बेटे अख़ीरा' ने जो बनी नफ़्ताली के क़बीले का सरदार था, अपना हदिया पेश करा।
और सलामती की क़ुर्बानी के लिए दो बैल, पाँच मेंढे, पाँच बकरे, पाँच नर यकसाला बर्रे। यह 'एनान के बेटे अख़ीरा' का हदिया था।