अहबार 5:4 - इंडियन रिवाइज्ड वर्जन (IRV) उर्दू - 20194 या अगर कोई बगै़र सोचे अपनी ज़बान से बुराई या भलाई करने की क़सम खाले, तो क़सम खा कर वह आदमी चाहे कैसी ही बात बग़ैर सोचे कह दे, बशर्ते कि उसे मा'लूम न हो, तो ऐसी बात में मुजरिम उस वक़्त ठहरेगा जब उसे मा'लूम हो जाएगा। Faic an caibideilकिताब-ए मुक़द्दस4 हो सकता है कि किसी ने बेपरवाई से कुछ करने की क़सम खाई है, चाहे वह अच्छा काम था या ग़लत। जब वह जान लेता है कि उसने क्या किया है तो वह क़ुसूरवार ठहरता है। Faic an caibideil |