अर उ यु एक नया गीत गांण लगि गै, तू ईं किताब (चाम्रपत्र) की मुहरों तैं तुडण अर यु तैं खुलणां का योग्य छै; ऊंल त्वे तैं बलिदान कैरी अर अपड़ी मौत का ल्वे ल तू हर गोत्र, भाषा, लोग अर जाति, राष्ट्र ल पिता परमेश्वर कु लुखुं तैं खरीद के छुड़ै दीलि।
फिर मिल देखि कि चिनखा ल ऊं सात मुहरों मा बट्टी एक तैं खोलि; अर मिल चरी ज्यून्दा प्राणियों मा बट्टी एक तैं बुल्द सूंणि। वेकी आवाज गिडगिडांण का जन तेज छै, वेल बोलि, अब “औ।”
जब चिनखा ल तिसरी मुहर खोलि, त मिल तिसरा ज्यून्दा प्राणी तैं यु बुल्द सूंणि, “औ।” अर तब मिल देखि कि एक कालो घोड़ा भैर ऐ; अर वेका सवार का हथ मा एक तराजू च।
जब चिनखा ल पाँचवी मुहर खोलि, त मिल वेदी का मूड़ी मिल ऊं लुखुं की आत्माओं तैं देखि जौं तैं मरै गै छो किलैकि उ पिता परमेश्वर का वचन का प्रति अर वेका संदेश का प्रति विश्वासयोग्य छा जु ऊं तैं मिल्युं छो।