दिब्य दरस 6:2 - गढवली नयो नियम2 तब मिल एक सफेद घोड़ा देखि, अर वेको सवार धनुष ले के छो अर वे तैं एक मुकुट दिये गै, अर उ जय करद निकली कि और भि जय पै के उ स्वर्ग बट्टी भैर धरती पर चलि गै, अर उ एक विजेता का समान जीत हासिल करद निकली अर दुबरा भि उन ही जितलो। Faic an caibideilGarhwali2 अर मिन एक सफेद घोड़ा तैं निकळद देखि, अर वेमा एक पराण सवार छौ जैका पास एक धनुष च अर वेतैं एक मुकुट दिये गै, अर उ जीत हासिल करणु खुणि निकळ्यूं च। Faic an caibideil |
उ लोग जु त्वे पर विश्वास नि करदींनि भौत गुस्सा छिनी, किलैकि बगत ऐ गै कि तू अपड़ा गुस्सा दिखौ अर ऊं सभियूं तैं जांच के न्याय कनु को बगत ऐ गै जु मोरि गैनी, अब उ बगत भि च जब तू ऊं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो तैं प्रतिफल दीलि जु तेरी सेवा करदींनि अर ऊं सभि जातियों का लुखुं तैं जु तेरु सम्मान करदींनि ऊं तैं जु विशेष मणै जंदींनि अर जु विशेष नि मणै जंदींनि, जबकि वे ही बगत तू ऊं तैं नाश कैरी दीलि जौनु धरती तैं विनाश कैरेले।”
तब मिल कुछ देखि जु समुद्र का जन दिख्यौन्दु छो अर कांच का जन चमकणु छो अर वेमा आग भि मिल गै छै। मिल ऊं लुखुं तैं भि देखि जु जानवर बट्टी नि हारी छा। ऊंल जानवर की अर वेकी मूर्ति की आराधना नि कैरी छै, अर ऊं पर जानवर का नौं की संख्या कु चिन्ह नि लगै गै छो। उख उ वे समुद्र का छाला पर खड़ा छा अर ऊं सभियूं की एक वीणा पकड़ी छै जु पिता परमेश्वर की ऊं तैं दीं छै।