दिब्य दरस 4:6 - गढवली नयो नियम6 यांका अलावा, सिंहासन का संमणी कुछ छो जु कि बर्फ का जन स्पष्ट कांच से बणयां समुन्द्र जन दिखदो छो, अर उ बड़ो सिंहासन ऊं सब का बिल्कुल बीच मा छा, अर ऊंका चौ तरपां मिल चार ज्यून्दा प्राणियों तैं देखि जौका देह पूरा ढंग से आँखों बट्टी ढ़कयां छिनी। Faic an caibideilGarhwali6 अर वीं राजगद्दी का समणि काँच का जन एक समुन्दर छौ। अर राजगद्दी का चौतरफि चार ज्यून्दा पराण जौं का अगनै-पिछनै आंखा ही आंखा छा। Faic an caibideil |
तब मिल कुछ देखि जु समुद्र का जन दिख्यौन्दु छो अर कांच का जन चमकणु छो अर वेमा आग भि मिल गै छै। मिल ऊं लुखुं तैं भि देखि जु जानवर बट्टी नि हारी छा। ऊंल जानवर की अर वेकी मूर्ति की आराधना नि कैरी छै, अर ऊं पर जानवर का नौं की संख्या कु चिन्ह नि लगै गै छो। उख उ वे समुद्र का छाला पर खड़ा छा अर ऊं सभियूं की एक वीणा पकड़ी छै जु पिता परमेश्वर की ऊं तैं दीं छै।