दिब्य दरस 21:8 - गढवली नयो नियम8 पर जु मि पर विश्वास नि रखदींनि, ऊं तैं जोर जबरदस्ती ल गन्धक ल जलांण वली वीं झील मा शामिल किये जालो, जु कि दुसरी मौत च अर यु ही परिणाम ऊंको भि होलो, जु लुखुं का संमणी मि तैं स्वीकार कन से डरदींनि, बुरा काम करदींनि, जु हत्यारा छिनी, यौन रूप बट्टी अनैतिक छिनी, जादु-टूणा करदींनि अर मूर्तियों की पूजा करदींनि अर झूठ बुल्दींनि।” Faic an caibideilGarhwali8 मगर डऽरपोक अर जु बिस्वास नि करदिन, अर अशुद्ध अर जु घिण वळा काम करदिन, अर कत्ल करण वळा, अर गळत सम्बन्ध बणौण वळा छिन, अर जु लोग जादु-टोंणा अर मूरत पूजा करदिन, अर सब झूठ्ठ बोन्न वळा लोगु को हिस्सा वीं आग मा होलु, ज्वा की गंधक से जगणी रौन्दी। अर या ही दुसरि मौत च।” Faic an caibideil |
अर उ दुसरो जानवर अर वेका दगड़ी उ झूठो संदेश दींण वलो जु अफ तैं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो बुल्द पकड़ै गै, वेल जानवर का तरपां बट्टी झूठा चमत्कार दिखै अर ऊं सभि लुखुं तैं भरमै, जौनु जानवर की छाप अपड़ा कपाल पर लगै छै अर जु वेकी मूर्ति की आराधना करदा छा, यु द्वी ज्यूंदा ही वीं आग की झील मा, जु गन्धक ल जल्दींनि डलै गैनी।