दिब्य दरस 20:2 - गढवली नयो नियम2-3 वेल वे अजगर तैं पकड़ी दींनि जु उखी छो जु भौत बगत पैली एक गुरो का रूप मा प्रगट हवे छो, जै तैं शैतान भि बुल्दींनि। वेल वे तैं संगलों ल बंधि अर अथाह कुण्ड मा फेंक दींनि। यांका बाद वेल ऊं तैं बंद कैर दींनि अर भितर जांणवला द्वार पर मोहर लगै दींनि कि एक हजार साल पूरा हूंण तक वेमा जाति-जाति का लुखुं तैं धोखा दींण कु कुई ढंग नि हो। जब उ पूरो हवे जालो त वे तैं दुबरा आजाद किये जालो, पर भस थोड़ा देर कु। Faic an caibideilGarhwali2 अर वेन खुंखार रागस तैं एक हजार साल तक संगुळों मा बान्धि के रखी। अर यू खुंखार रागस उ च जैकू पुरणु गुरौ, दुसरो पर दोष लगौण वळु, जैकू शैतान बुले जान्दु। Faic an caibideil |
जब हजार साल खत्म हवे जाला त स्वर्गदूत, शैतान तैं उख बट्टी जख उ बंधयूं च, आजाद कैरी दयालो, अर उ, ऊं देशों की जातियों तैं धोखा दींणु कु भैर ऐ जालो जु पूरी दुनिया मा बिखरयां छिनी। यूं देशों तैं गोग अर मागोग बुलै जांद शैतान ऊं सभियूं तैं एक जगह पर कठ्ठा करलो जख उ लड़ै करला। उ भौत सैरा होला इन कि कुई ऊं तैं समुद्र का किनारा की बल्ला का जन गिणी भि नि सकलो।