दिब्य दरस 20:10 - गढवली नयो नियम10 फिर ऊंल शैतान तैं जैल यूं सभियूं तैं भरमयूं छो, वीं जगह पर ढोल दींनि जु आग अर गन्धक बट्टी फुकयोंदो। उ वीं जगह पर होलो जख ऊंल पैली बट्टी ही जानवर अर पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वला बुल्दींनि। आग ऊं सभियूं तैं दिन अर रात हमेशा कु दुःख द्याली। Faic an caibideilGarhwali10 तब शैतान तैं जैन ऊं लोगु तैं भरमै छौ परमेस्वर का द्वारा वीं आग अर गंधक का कुण्ड मा डळै गै, जख दैंत अर झूठ्ठा रैबर्या तैं डळै गै छौ। अर उख ऊ दिन-रात हमेसा-हमेसा खुणि पीड़ा मा तड़पणा राला। Faic an caibideil |
अर उ दुसरो जानवर अर वेका दगड़ी उ झूठो संदेश दींण वलो जु अफ तैं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो बुल्द पकड़ै गै, वेल जानवर का तरपां बट्टी झूठा चमत्कार दिखै अर ऊं सभि लुखुं तैं भरमै, जौनु जानवर की छाप अपड़ा कपाल पर लगै छै अर जु वेकी मूर्ति की आराधना करदा छा, यु द्वी ज्यूंदा ही वीं आग की झील मा, जु गन्धक ल जल्दींनि डलै गैनी।