दिब्य दरस 17:2 - गढवली नयो नियम2 जीं दगड़ी धरती का राजाओं ल व्यभिचार कैरी, अर वेल सैरी मनिख जाति तैं अपड़ी दाखमधु का नशा ल धुत कैरेले।” Faic an caibideilGarhwali2 अर वींका दगड़ा मा धरती का राजाओं न गळत सम्बन्ध रखिनी, अर दारु की तरौं वींका ये काम से धरती का रौण वळा वींका नसा मा धुत ह्वे गैनी।” Faic an caibideil |
उ वीं जनन तैं जीं तैं तिल देखि छो, उ यु बड़ो शहर च जु धरती पर सभि राजाओं पर राज्य करद। यु चीज वे दगड़ी हवीनि, किलैकि पिता परमेश्वर ल अपड़ा उद्देश्यों तैं पूरो कनु कु ऊंका मनों को निर्देशन कैरी। यु ही कारण च कि ऊंल अपड़ो अधिकार जानवर तैं दे दींनि कि उ राज्य कैरो, जब तक कि उ सब पूरो नि हो जु पिता परमेश्वर ल बोलि छो।”
वे जानवर जै तैं तिल अभि तक नि देखि, एक बगत ज्यूँदो छो, पर अब ज्यूँदो नि च; उ गहरा अथाह कुण्ड बट्टी भैर आंण वलो छो अर पिता परमेश्वर वीं तैं पूरा ढंग से नाश कैरी दयालो। धरती पर रौंण वला जौका नौं पिता परमेश्वर दुनिया की सृष्टि कन से पैली जीवन की किताब (चाम्रपत्र) मा नि लिखै, उ सभि भौंचक हवे जाला जब उ यु जानवर तैं दिखला। एक बगत उ ज्यूँदो छो; पर अब उ ज्यूँदो नि च; पर उ दुबरा वापिस ऐ जालो।