दिब्य दरस 16:6 - गढवली नयो नियम6 किलैकि ऊंल तेरा लुखुं अर पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो तैं मार दींनि अर ऊंको ल्वे बुगै, इलै अब तू ऊं तैं ल्वे पींण कु दे। यु ऊंकु सै प्रतिफल च।” Faic an caibideilGarhwali6 किलैकि ऊंन बिस्वासी लोगु अर तुमरा रैबर्यों को ल्वे बुगै, इलै तुमुन भि ऊंतैं पाणि का बदला मा ल्वे पीणु खुणि दिनी, अर जन ऊंन कैरी उन्नि पै।” Faic an caibideil |
जु मूसा की व्यवस्था का अनुसार इन सजा छै, त वे आदिम की सजा भौत बड़ी होली जु पिता परमेश्वर का नौंनो कु तिरस्कार करदींनि; वेल पिता परमेश्वर का नौंनो तैं अपड़ा खुट्टों मुड़ी मींडी येले किलैकि वेल वेको सम्मान नि कैरी; वेल मसीह का ल्वे तैं पवित्र नि मांणी अर अशुद्ध ठैरे जैका द्वारा पिता परमेश्वर ल वे तैं पवित्र बनांणु कु नई प्रतिज्ञा शुरू कैरी; वेल पवित्र आत्मा कु अपमान कैरी जैका द्वारा वे पर दया हवे।
उ लोग जु त्वे पर विश्वास नि करदींनि भौत गुस्सा छिनी, किलैकि बगत ऐ गै कि तू अपड़ा गुस्सा दिखौ अर ऊं सभियूं तैं जांच के न्याय कनु को बगत ऐ गै जु मोरि गैनी, अब उ बगत भि च जब तू ऊं पिता परमेश्वर का तरपां बट्टी बुल्ण वलो तैं प्रतिफल दीलि जु तेरी सेवा करदींनि अर ऊं सभि जातियों का लुखुं तैं जु तेरु सम्मान करदींनि ऊं तैं जु विशेष मणै जंदींनि अर जु विशेष नि मणै जंदींनि, जबकि वे ही बगत तू ऊं तैं नाश कैरी दीलि जौनु धरती तैं विनाश कैरेले।”