2 कुरिन्थि 2:3 - गढवली नयो नियम3 अर मिल यु ही बात तुम तैं इलै लिखीं, कि कखी इन नि हो, कि मेरा आंण पर जौं मा मि तैं खुशी मिलण चयणी च, मि वेमा दुखी नि हवे जौं; किलैकि मि तैं तुम सभियूं पर ईं बात कु विश्वास च कि जु मेरी खुशी च, व ही तुम सभियूं की भि खुशी च। Faic an caibideilGarhwali3 अर मिन या चिठ्ठी तुमकु ईं बात का खातिर लिखी, कि जब मि औलु त कखि इन नि हो कि जौं लोगु से मितैं खुशी मिलण चयेणी ऊंकी वजै से मि उदास ह्वे जौं, किलैकि मितैं ईं बात पर यकीन च कि जौं बातों से तुमतै खुशी मिलदी, ऊं ही बातों से मितैं भि खुशी मिलदी। Faic an caibideil |