2 कुरिन्थि 1:8 - गढवली नयो नियम8 हे विश्वासी भयों, मि चांदु छो कि तुम ऊं मुसिबतों का बारा मा जांणा जु एशिया प्रान्त मा हम पर पुड़ीनि, हम इन गरा बोझ बट्टी दबी गै छा, जु हमारी सामर्थ बट्टी भैर छै, इख तक कि हम ल जीणै की पूरी उम्मीद ही छोडे़ले छै। Faic an caibideilGarhwali8 हे मेरा भै-बैंणो, हम इन चन्द्यां कि तुम ईं बात से अणजाण नि रा, कि हमुन आसिया मुलक मा कन-कन दुख-तकलीफ झिलनी। हाँ, हमुन इथगा दुख-तकलीफ झिलनी कि ऊंतैं सौण हमरि ताकत से भैर छौ, इख तक कि हमुन उम्मीद भि छोड़याली छै, कि अब हम ज्यून्दा भि रौला कि ना। Faic an caibideil |
इफिसुस शहर मा, मेरा दुश्मन भींगरियां जानवरों का जन छिनी, जु मि तैं नुकसान पौछांण चयदींनि; मि अभि भि यु सब किलै सैणु छों, जु मेरू प्रतिफल ईं दुनिया कु छै ही च, जु यु सच हूंदो, कि मि तैं आखरी दिनों मा फिर से ज्यूँदो नि किये जालो, त मि कु बढ़िया हूंद, कि मि मौज उड़ांदू, जन कि य मिसाल च, “आवा हम खां-पयां किलैकि शायद भोल हम मोरि जां अर हमारो अंत हवे जौं।”