जु कुई भुखी हो, त अपड़ा घौर मा खाै, कि जब तुम कठ्ठा हूंदियां, तुम ठिक ढंग ल बरतौ करीला अर पिता परमेश्वर तुम्हरो न्याय नि करलो। अर दुसरी बातों तैं जब मि तुम मा औलु, तभि सुलझाैलु।
कि जु मेरा औंण मा देर हवे जौं त तु इन जांणि जै कि परमेश्वर का कुटुंब जु कि ज्यूंदा परमेश्वर कि मण्डलि च, अर यु विश्वासी उन ही सच्ची शिक्षाओं का समर्थन करदींनि अर ऊं तैं बणै रखदींनि जन नींव अर खम्बा कै घौर तैं सहारा दींद अर वे तैं मजबूत करदींनि।
अर एक और बात या भि च कि मेरा ठैरुणु कु अपड़ा घौर मा एक कमरा तैयार कैर; किलैकि मि तैं उम्मीद च, कि पिता परमेश्वर तुम्हरी प्रार्थनाओं कु उत्तर दयालो अर मि तैं ऐ के तुम तैं दिखणु को मौका दयालो।
और भि भौत सी बात छिनी, जु मि तुम कु लिखण चांणु छो, पर मि ऊं तैं यु जन एक चिठ्ठी मा नि लिखण चांदु। मि तैं आस च कि मि तुम मा ओ अर हमारा अमणी-संमणी बातचित कैर ज्यां बट्टी हमारो आनन्द पूरो हवे जौ।