दिब्य दरस 2:3 - Garhwali3 अर मि इन भि जणदु छौं, कि तुम सबर रखण जणदा छाँ अर मेरा नौ का खातिर तुमुन दुख-तकलीफ झिलनी, पर तुम नि थक्यां। Faic an caibideilगढवली नयो नियम3 अर तिल धीरज से दुखों तैं सै किलैकि तू मि पर विश्वास करदी अर तिल कभी हार नि मांणी। Faic an caibideil |
अर वु लोग बड़ु मोन करदिन कि वु यीशु मसीह की सेवा करणा छिन। पर अब मि भि एक मूरख की तरौं तुमतै चितै देन्दु, कि मि यीशु मसीह खुणि भौत मेनत कनु छौं अर कई बार जेलखाना डळै ग्यों, अर भौत बार लोगु न मितैं बुरी तरौं से मारी, इख तक की कई बार मुरण वळु भि छौ मगर बचि ग्यों। अर मेरा दगड़ा मा यू सब इलै ह्वे किलैकि मि यीशु मसीह को सेवक छौं।
हे मेरा भै-बैंणो, हम इन्द्रया ही भौत सा लोगु का बारा मा जणदा छां, जु कि बिस्वास का बारा मा हमतै हौसला देन्दा छिन। इलै अब हम पक्कु बिस्वास बणै के रखा, ठिक उन्नि जन एक खिलाड़ी अपणा बाटा मा औण वळी रुकावट तैं दूर करदु, ठिक इन्नि हम भि सब पापों तैं छोड़ि द्या अर सबर रखी के हरेक किसम की परेसानी तैं झेली के परमेस्वर का पिछनै चलण वळा बणा।