फिलिप्पी 2:2 - Garhwali2 इलै मि भि इन चान्दु कि तुम एक-दुसरा से और भि जादा प्यार करा। अर एक मन ह्वेके रा, अर इन सोच रखा कि तुम सभ्या का सभि एक जन ही छाँ, अर अगर जु तुम इन करिल्या त यां से मितैं बड़ु आनन्द मिललु। Faic an caibideilगढवली नयो नियम2 त फिर मेरा यु आनन्द तैं इन कै पूरो कैरा कि एक मन रावा अर एक ही प्रेम अर एक ही मनसा रखा। Faic an caibideil |
हे मेरा भै-बैंणो, अब मि आखिरी मा तुमकु इन बोन्न चान्दु कि तुम खुश रा, अर अपणा-अपणा चाल-चलन मा हरेक दिन सुधार ला, अर जु-जु काम करणु कू मिन तुमकु बोलि ऊंतैं पूरु कैरा। अर एक-दुसरे की बात तैं स्वीकार कैरा अर एकजुट ह्वेके रा, अर एक-दुसरा का दगड़ा मा शान्ति से रा। अर पिता परमेस्वर तुमतै एक-दुसरा का दगड़ा प्यार करण मा, अर शान्ति से जीवन जीण मा पूरि मदद करलु।
मगर हे मेरा भै-बैंणो, तुम जु प्रभु का प्रिय लोग छाँ, हमरि या जिमेदारी बणदी की हम तुमरा खातिर पिता परमेस्वर को धन्यवाद हमेसा कैरा। किलैकि परमेस्वर न तुमतै शुरुवात बटि ही चुण्यालि, कि तुमतै बचयै जौ। अर जब हम वेका सच्चा वचन पर बिस्वास करद्यां, तब पवित्र आत्मा हमतै पवित्र बणादु ताकि वेका द्वारा हम पूरि तरौं से बचि जां।