इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
बिकै पाछै एक ओर ईस्बर नगरी दुत सोना को धूपदान लेर आयो अर बेदी कनै खड़्यो होगो। बिनै परमेसर का मिनखा की अरदास क सागै सोना की बेदी प जखो सिंघासन क सामै ही, चढाबा ताँई बोळीसारकी धूप दि गई ही।