12 अर बे बोल्या, “अंय्यांई होवै! म्हारा परमेसर की मेमा, बडाई, धनेवाद, ज्ञान, मान, सक्ति अर बळबूतो सदाई होती रेह्वै। अंय्यांई होवै!”
अर थे म्हानै बिचासबा मना द्यो पण बुराईऊँ बचाओ।
क्युं क सगळा को रचबाळो बोई ह। बिऊँ सगळा हीं अर बे बी ताँई हीं। बिकी सदाई मेमा हो! अंय्यांई होवै।
क्युं क ज तू आत्माऊँ धनेवाद देवै जणा बठै खड़्या अबिस्वासी मिनख कंय्यां खेसी क अंय्यांई होवै, क्युं क बे कोनी जाणी की तू काँई खेर्यो ह?
अ सगळी बाता थारै ताँई करी जारी ह जिऊँ परमेसर की दया बेत्तीऊँ बेत्ती मिनखा ताँई पुगै, जिऊँ बे परमेसरनै धनेवाद देसी अर परमेसरनै मोकळी मेमा मिलसी।
अर जंय्यां थानै सीखायो गयो ह बंय्यांई थारी जड़ानै बिमै फिलार बढता जाओ। बिपै थारा जीवना की निम गेरो। अर बिस्वास म पक्का होर बिको धनेवाद करता रेह्ओ।
मेरो खेबा को मतबल ओ ह क, थे जोक्यु करो अर बोलो बो परबु ईसु मसी क नामऊँ होणो चाए अर बिका नामऊँई परम-पिता परमेसरनै धनेवाद द्यो।
म बोई हूँ जिकनै जीवन ह। म पेली मरगो हो पण इब सदा-सदा ताँई जिंदो हूँ, मोत अर पताळ की ताळ्या मेरै कनै ह।
बे चोबिस बडका अर च्यारू जीवता पराणी सिंघासन प बिराजमान परमेसर क धोक लगार गीत गाबा लाग्या, “हालेलुया! अंय्यांई होवै।”