इकै पाछै परमेसर का मनदरनै जखो ईस्बर नगरी म ह बिनै खोल्यो गयो, अर मनै मनदर म करार हाळी पेटी दिखी। बिकै पाछै बिजळी को पळको आयो, बिजळी की कड़कबा की उवाज आई अर बादळ की गरजबा की उवाज होई, भूचाळ आयो अर ओळा बरसबा लाग्या।
जखा मिनखा को नाम बि उन्या की जीवन हाळी पोथी म कोनी मांडेड़ो बे सगळा मिनख इ डरावना जानबरनै धोकसी। ओ उन्यो जखो इ सरस्टि की सरूआतऊँई बलि होबा ताँई ते कर्यो गयो हो।
इकै पाछै मनै ओज्यु बोळासारा मिनखा को एकसागै हेलो सुण्यो। ओ हेलो अंय्यां लागर्यो हो जंय्यां की पाणी का झरना की नहिस बादळा की गरजबा की उवाज हो। बे मिनख गार्या हा, “हालेलुया! क्युं क आपणो सऊँ सक्तिसाली परमेसर राज करै ह।
जद बो उन्यो तीसरी म्होर की चेपी खोली जणा म बि तीसरा जीवता पराणीनै बोलतो सुण्यो, “आ।” जणा म एक ओर घोड़ो देख्यो जखो काळो हो। बिका सुवार क हात म एक ताखड़ी ही।