6 जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह।
जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।
जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।”
(पण जखी चिजा मिनखा क मांयनैऊँ निकळै ह बे बिनै सूगलो करै ह। जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।)
अर क्युंक उपळी माटी प पड़्या अर बे सो गुणा फळ्या।” अत्तो खेताई बो जोरऊँ हेलो मार'र खयो, “जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।”
जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी जीतसी बिनै दुजी मोत कोनी भोगणी पड़सी।”
जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी बुराईऊँ जीतसी म बिनै जीवन का दरख्त को फळ खाबा को हक देस्युँ जखो परमेसर का बाग म ह।
जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह।”