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- Sanasan -




दरसाव 2:7 - जीवन को च्यानणो (सेकावाटी नया नियम की पोथ्या)

7 जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी बुराईऊँ जीतसी म बिनै जीवन का दरख्त को फळ खाबा को हक देस्युँ जखो परमेसर का बाग म ह।

Faic an caibideil Dèan lethbhreac




दरसाव 2:7
36 Iomraidhean Croise  

जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।


पण धरमी मिनख परम-पिता का राज म सूरज की जंय्यां चमकसी। जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।


जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।”


अर ईसु बानै बोल्यो, “जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।”


अंय्यां की कोईबी चिज कोनी ह जखी मिनखनै बारनैऊँ बिकै मांय जार बिनै सूगलो करै।”


(पण जखी चिजा मिनखा क मांयनैऊँ निकळै ह बे बिनै सूगलो करै ह। जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।)


जणा ईसु बिऊँ बोल्यो, “म तनै बचन देऊँ हूँ क आज तू मेरै सागै परलोक म होसी।”


अर क्युंक उपळी माटी प पड़्या अर बे सो गुणा फळ्या।” अत्तो खेताई बो जोरऊँ हेलो मार'र खयो, “जिकै कान ह बो बानै खोलल्यो।”


“म अ बाता थारूँ इ ताँई बोल्यो क थानै स्यांती मिलै। जगत म तो थानै दुखई मिल्यो ह पण हिमत राखो म जगतनै जीत लिओ हूँ।”


पण परमेसर पबितर आत्मा क जरिए बानै आपणा प परगट करी ह। क्युं क पबितर आत्मा सक्यु ढुंढले ह अठै ताँई क परमेसर की उंडी बातानै बी।


म जाणू हूँ इ मिनखनै ईस्बर नगरी म उठायो गयो बठै बो अनोरी बाता सुणी जानै कोनी बोल्यो जा सकै बे अंय्यां की बाता ही जानै बोलबो मिनख क बस म कोनी।


ओ बूडा ठेरो, म थानै मांडूँ हूँ, क्युं क थे बिनै जाणो हो जखो जुगादऊँ ह। ओ मोट्यारो म थानै मांडूँ हूँ, क्युं क थे बुराईनै हराया हो।


जिकै कान ह, बे बानै खोल ले।


जणा ईस्बर नगरीऊँ म ओ हेलो सुण्यो, “इनै मांडले: जखा इबऊँ परबु म मरी हीं बे भागहाळा हीं।” पबितर आत्मा खेवै ह, “हाँ क्युं क बे आपका कामाऊँ अराम पासी, अर बाका काम बाकै सागै ह।”


इकै पाछै मनै काच की जंय्यां को समदर दिख्यो बो अंय्यां दिखै हो जंय्यां क बिकै मांयनै आग बळरी हो। जखा मिनख बि डरावना जानबर की मूरती अर बिका नाम का आंकऊँ जीतगा हा बानै बी काच का समदर क सारै खड़्या देख्या। बे परमेसर की देयड़ी बीणा ले राखी ही


जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो बी जीतसी बिनै दुजी मोत कोनी भोगणी पड़सी।”


जिकै कान ह बे बानै खोल ले क, पबितर आत्मा बिस्वासी मंडळ्याऊँ काँई बोलै ह। जखो जीतै ह, म बिनै ईस्बर नगरी म लुखेड़ो मन्नो देस्युँ। म बिनै एक धोळो भाठो बी देस्युँ जिकै उपर एक नयो नाम मंडेड़ो होसी। बो नाम बि मिनख क सिवाय कोई कोनी जाणसी जिनै बो दिओ ज्यासी।


जखो बी जीतसी बो आ सक्याको मालिक होसी। म बाको परमेसर होस्युं अर बे मेरा टाबर होसी।


“भागहाळा हीं बे जखा हुकमानै मानी हीं जिऊँ बानै जीवन का दरखत का फळ खाबा की छुट होसी। बानै दरवाजा होर नगरी म बड़बा की छुट होसी।


पबितर आत्मा अर बनड़ी खेवै ह, “आ!” अर जखो इनै सुणै ह बो बी बोलै ह, “आ!” अर जखो तिसायो ह बो अर जखोबी चावै बो इ जीवन का पाणी का फळनै सितमित म लेले।


नगरी क गळ्या क बिच मऊँ भेरी ही। इकै दोनू किनारा प जीवन देबाळो दरखत लागर्यो हो। बापै हर म्हेना बारा भात का फळ लागता हा। अर दरखत का पत्ताऊँ सगळा देसा का मिनख निरोगा होता हा।


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