2 बो जोरको हेलो देर बोल्यो, “ ‘नास हो नास हो! बाबुल नगरी को नास हो!’ आ नगरी सगळी ओपरी बलाया को, सूगला पंछ्या अर सूगला जानबरा को अडो बणगी ह।
बिका पग ताजाई तपाईड़ा काँसा की जंय्यां चमकर्या हा अर बिकी उवाज झरना का पाणी की जंय्यां ही।
अर बो नार की जंय्यां दहाड़ मारी। जणा सात बर गरजन गुंजी।
बाकी लास बी बडी नगरी का चोराया प म्हेलदि ज्यासी। इ नगरीनै बिकी बुराई क चलतै सदोम अर मिसर का नामऊँबी बुलायो जावै ह। आ बाई नगरी ह जठै बाका परबुनै सुळी प चढायो गयो हो।
जदई एक ओर ईस्बर नगरी दुत मनदर क मांयनैऊँ बारनै आयो अर बो बिऊँ जखो बादळ प बेठ्यो हो जोरऊँ हेलो देर बोल्यो, “हसियो चलार लावणी करले क्युं क लावणी की टेम आगी ह। अर धरती की फसल पकगी ह।”
बिकै गेलकी गेल दुसरो ईस्बर नगरी दुत आर बोल्यो, “‘बडी नगरी बाबुल नास हो! नास हो,’ आ नगरी सगळा मिनखानै आपकी कुकरम की वासना की अँगूरी पिलाई ही।”
इकै पाछै म काँई देख्यो क बी बडासारका अजगर क मुंडाऊँ, अर बी डरावना जानबर क मुंडाऊँ अर बाका झूठा परमेसर की खेबाळा का मुंडाऊँ मिंडका सारकी तीन सूगली आत्मा निकळी।
अर बडी नगरी का तीन टुकड़ा होगा, अर पापी मिनखा की सगळी नगर्या नास होगी। परमेसर बाबुल नगरीनै सजा देबा ताँई याद कर्यो जिऊँ क बो बिनै आपका परकोपऊँ भरेड़ो अँगूरी को प्यालो पिलावै।
जखी लूगाईनै तू देख्यो हो आ बि बडी नगरीनै दिखावै जखी धरती का देस-देस प राज करै ह।”
बिकै माथा प नाम मंडर्यो हो जखो एक भेद हो , सऊँ बडी नगरी बाबुल बेस्या अर सूगली चिजा की माँ
बे बिकी आ दुरगती देखर डर का मार्या दूर खड़्या बार घालसी, “ ‘सऊँ बडी नगरी तेरै प हाय, बाबुल सक्तिसाली नगरी, देखो! घड़ी भर मई तेर प स्यामत आ पड़ी।’
आ बाता क पाछै एक ताकतबर ईस्बर नगरी दुत चाकी का भाठा की जंय्यां की बडीसारी ढाड उठार बिनै समदर प फेकतो होयो बोल्यो, “आ बाबुल नगरी बी, इ भाठा की जंय्यां फेक दि ज्यासी, अर ओज्यु कदैई कोनी लाधसी।
इकै पाछै म एक सक्तिसाली ईस्बर नगरी दुतनै देख्यो जखो जोरऊँ हेलो पाड़र्यो हो क, “इकी चेपीनै तोड़र इ कागदनै खोलबा जोगो कूण ह?”