2 बा पेटऊँ ही अर बा दरदऊँ अंय्यां चिलाटी घालरी ही क इबारई बिकै टाबर होबाळो होवै।
पण अ सगळी बाता तो पिड़ा की सरूआतई ह।
जद एक लूगाई टाबर जलमै जणा बिनै पिड़ा होवै ह, क्युं क बा बिकी पिड़ा की घड़ी होवै ह। पण टाबर जलम्बा क पाछै एक टाबर क इ धरती प आबा की खुसी म बा आपकी सगळी पिड़ानै भूलर राजी होवै ह।
ओ मेरा टाबरो, जद ताँई थार म मसी को सुभाव नइ आज्यावै, जद ताँई म जच्चा की सी पिड़ा भोगर्यो हूँ।
क्युं क पबितर सास्तर म मंडेड़ो ह क, “हे बांझड़ी तू राजी हो, क्युं क तू टाबर कोनी जणी। अर तनै टाबर जलम्बा की पिड़ा कोनी होई, तू जे-जैकार कर। क्युं क सुहागण लूगायो बेत्ती, टाबर-टिकर छोडेड़ी लूगाई क ह।”
बो आपकी पूंछऊँ सपाटो मार'र आसमानऊँ एक तिहाई तारानै धरती प फेक दिओ। अर बो बी लूगाई क सामै जखी टाबर जलम्बाळी ह खड़्यो होगो जिऊँ जद बा टाबर जलमै जणा बो बि टाबरनै निगळज्या।