थारी काया का अंगानै अधरम का सादन होबा ताँई पाप क हाता म मना द्यो, पण मरेड़ा मऊँ जी उठबाळा की जंय्यां परमेसर क हाता म द्यो। अर थारी काया का अंगानै धरम का सादन होबा ताँई परमेसरनै सूप द्यो।
जणा मोटी बात आ ह क थारा जीवन की उठ बेठ खाली मसी का चोखा समचार जोगी होणी चाए; जिऊँ म थारै बारां म आई सुणू क थे एकई मकसद ताँई खड़्या हो अर एकई मनस्या राख'र चोखा समचारऊँ मिलेड़ा बिस्वास ताँई कड़ी मेनत करतार्यो हो, चाए म थानै आर देखूँ चाए नइ देखूँ,
अंय्यांई बूडी-ठेरी लूगायानै बी सीखा क बे पबितर मिनखा की जंय्यां बरताव करबाळी हो। बे चुगली-चाळा करबाळी नइ हो अर नइ बामै पीबा की लत हो। पण बे चोखी सीख देबाळी हो।
म थानै समजाऊँ हूँ क परमेसर की बिस्वासी मंडळी की जखी थारी देखरेख म ह बिकी रूखाळी करो। अर ओ काम कोईकै दबाव म आर मना करो पण परमेसर की इंछ्याऊँ राजी होर करो, अर धन का लालच की बजेऊँ ओ काम मना करो पण मन लगार इ कामनै करो।
पण डरपोक, परमेसर म बिस्वास नइ करबाळा, भरस्ट, हत्यारा, कुकरमी, जादू-टोणा करबाळा, मूरती धोकबाळा अर झूठा मिनखानै तिजाब हाळा नरक का भबकती आग का कूंड म गेर्यो जासी। आई दुसरी मोत ह।”