थेई बताओ जखो दुख परमेसर थानै दिओ बिकी बजेऊँ थे कत्ता राजी हो, थे बात का खरा, गळत की भीड़ नइ लेबाळा, परमेसर क डर म रेह्बाळा, म्हारूँ मिलबा की लगन राखबाळा, हिमत राखबाळा अर पापी को न्याय चुकाबाळा होगा। थे अंय्यां कर सगळी बाता म आ दिखा दिआ हो, क थे पबितर हो।
थारै बारां म अंय्यां सोचबो मेर ताँई सई ह, क्युं क थे मेरा काळज्या म बसर्या हो। बि सोभाग म थे सगळा पाँतीवाळ हो जखो परमेसर मनै दिओ, चाएस म जद अब जेळ म हूँ अर नहिस जद म अजादिऊँ चोखा समचार क सच को सबूत देर बिनै पुक्ता करबा म लागर्यो हो।