14 पण तू बा बाता प जखी तू सीखी ह, अर जाकै बारां म तनै पक्को बिस्वास ह, आ जाणर की तनै बे बाता सीखाबाळा कूण हा बामै बण्यो रेह।
क्युं क एक दिन परमेसर पेल्याऊँ ते करेड़ा मिनख क हातऊँ जगत का मिनखा को सचाई क सागै न्याय करसी। इ बात को सबूत देबा ताँई परमेसर बिनै मरेड़ा मऊँ जीवायो।”
क्युंक मिनख एक खास दिननै बेत्ती मानी हीं, अर कोई सगळा दिनानै एक स्यारकाई मानी हीं। इ ताँई हरेकनै खुदका मन मई हरतर्याऊँ ते करबो चाए।
ओ म इ ताँई करूं हूँ क, बाका हिया म हिमत बंधै अर बे आपसरी का प्यार-परेम म बंद जावै, अर बाकन मोकळी पक्की समज होवै जखी परमेसर पिता का भेदनै सूल जाणबाऊँ आवै ह। ओ भेद मसी ह जिनै परमेसर खोल्यो ह।
क्युं क ओ चोखो समचार थारै कनै बोली रूप मई कोनी पुग्यो पण सक्ति, पबितर आत्मा अर इकै सच की पुक्ताई क सागै पुग्यो ह। जंय्यां थे जाणोई हो क, म्हें थारा भला ताँई थारै मांयनै कंय्यां जिया।
म्हें इ ताँई बी थारै ताँई परमेसर को धनेवाद करता कोनी रूकां, क जद म्हें थानै परमेसर को चोखो समचार सुणायो हो जणा थे इनै मिनखा कानि को कोनी जाण्या पण परमेसर को जा'णर इनै मान्या अर सच बी ओई ह, इ बजेऊँ परमेसर थारै म जखा बिस्वास करो हो काम करै ह।
खुद प अर तेरी सीख प ध्यान दे, अर आमै पक्को हो। क्युं क अंय्यां करबाऊँ तू, खुदनै अर तनै सुणबाळानै बचाबा की बजै बणसी।
जखा खरा बचन म तनै सीखायो हूँ बानै डटर थाम्यो रेह अर बानै बि बिस्वास अर परेम क सागै, जखा मसी ईसु म ह, खुद ताँई नमूनो बणार राख।
जखी बाता तू मेरूँ बोळा सारका गुवाई देबाळा की मोजूदगी म सुणी ह बा बातानै बिस्वास जोगा मिनखानै सूप दे, जखा दुसरानै सीखाबा जोगा हीं।
अर टाबरपुणाऊँई तू पबितर सास्तरनै जाणै ह जखो मसी ईसु म बिस्वास की बजेऊँ तनै छुटकारा ताँई बुदी दे सकै ह।
बो बिस्वास जोगा परमेसर का समचार म मजबूती क सागै ठिक बंय्यांई बिस्वास करै जंय्यां क बिनै सीखायो गयो ह। जिऊँ क बो ओरानै बी सची सीखऊँ हिमत बंधा सकै। अर जखा सामै होवै बा मिनखा को मुंडो बंद कर बानै मनवा सकै क बे गळत हीं।
जणा आओ, आपा सचा हिया अर पूरा बिस्वास क सागै मन का बुरा बिचारानै छिड़कावऊँ सुद करवार कायानै पबितर पाणीऊँ धुलवार परमेसर क कनै चालां।
म्हारी तो आई दिली इंछ्या ह क थे हरेक जणा आखीर ताँई इ लगनऊँ काम करता रेह्वो, जिऊँ थारी आस पूरी होज्यावै।