12 जखो बी मिनख मसी ईसु की एकता म धरमी जीवन जिबो चावै ह जणा बिनै जुलम सेह्बो पड़सी।
ईसु चेलानै खेबा लाग्यो, “जखो बी मेरै गेल होबो चावै ह बो खुदनै तज'र, आपकी सुळी उठार मेरै गेल होले।
इ ताँई म थानै खेऊँ हूँ, म थारै कनै परमेसर की खेबाळानै, बुदीमानानै अर गरूजीआनै भेजस्युं। पण थे बामैऊँ कया क तो अरदास करबाळी झघा म बेत मारस्यो, कयानै सतास्यो, कयानै सुळी प चढास्यो, कयानै मार गेरस्यो अर नगरी-नगरी थे बाको पिछो करस्यो।
बिनै अठैई इ जुग म सो गुणा घर, सागे भाई-भाण, माँ, टाबर-टिकर अर खेत मिलसी अर सागै की सागै अजर-अमर जीवन मिलसी।
थे अरदास करबाळी झघाऊँ काड्या जास्यो अर बो टेम आसी जद थानै मारबाळा सोचसी क थानै मार'र बे परमेसर की सेवा करीं हीं।
“म अ बाता थारूँ इ ताँई बोल्यो क थानै स्यांती मिलै। जगत म तो थानै दुखई मिल्यो ह पण हिमत राखो म जगतनै जीत लिओ हूँ।”
म थारी सीख बानै दिनी। पण ओ जगत बाऊँ नफरत करै ह क्युं क बे इ जगत का कोनी, जंय्यां म इ जगत को कोनी।
अर चेलानै समजाता अर हिमत बंधाता हा क, “बिस्वास म बण्या रेह्ओ अर परमेसर का राज म बड़बा ताँई आपानै बोळा दुख भोगणा पड़सी।”
अर ज आपा इ दुनिया की मो-मायानै पाबा ताँई मसीऊँ आस लगा राखी ह जणा आपा सगळा मिनखाऊँ अभागा मिनख हां।
म्हानै गुमान ह क म्हें साप अन्तर-आत्माऊँ आ खे सकां हां, क म्हें इ दुनिया का मिनखा क सागै अर खासकर थारै सागै परमेसर की खराई अर ईमानदारीऊँ रिह्या हां। अंय्यां म्हें परमेसरऊँ मिलबाळी दयाऊँ कर्या हां, दुनियादारीऊँ मिलबाळी बुदीऊँ नइ।
सताया तो जावां हां, पण तज्या कोनी जावां। म्हें पटक्या जावां हां पण खतम कोनी होवां।
राजा-म्हराजा अर सगळा अधिकार्या ताँई अरदास करी जावै। जिऊँ आपा सुक-स्यांती क सागै भगती अर सरदाऊँ परमेसर ताँई जीवन जी सकां।
कोई कोनी नट सकै क, भगती को भेद कंय्यां को म्हान ह, बो जखो मिनख जूण म परगट होयो, पबितर आत्मा जिनै धरमी बतायो, अर ईस्बर नगरी दुत जिनै देख्या, देस-देस म बिको परचार कर्यो गयो, जगत म बिपै बिस्वास कर्यो गयो, अर ईस्बर नगरी म उठा लिओ गयो।
ज कोई, बि सई अर आपणा परबु ईसु मसी की ईस्बरीय सीखनै, नइ मानै अर क्युं न्यारोई सीखावीं,
म ईसु मसीऊँ भेजेड़ो चेलो, परमेसर को दास पोलुस आ चिठी तितूस तनै मांडूँ हूँ। म परमेसर का टाळेड़ा मिनखानै बिस्वास म बढाबा भेज्यो गयो हूँ। जिऊँ बे सचनै जाणर पबितर जीवन जीवै।
आ दया सीखावै ह क आपा बि जीवननै जिमै परमेसर कोनी अर दुनियादारी की बुरी इंछ्यानै छोडर इ जुग म खुद क बस म रेह्बाळो, खराईऊँ भर्यो जीवन जीवां जिमै परमेसर ह,
अर ज थे भलाई करबा बेई दुख भोगो हो, जणा थे भागहाळा हो। इ ताँई बाऊँ डरबो छोड द्यो अर इकी बी चिंत्या मना करो क मिनख काँई कर सकै ह।
जदकी अ सगळी चिजा नास होबाळी ह जणा पाछै थे सोचो थारो परमेसर म चाल-चलन किसोक होणो चाए? थानै पबितर जीवन जिबो चाए।
बो आपकी पूंछऊँ सपाटो मार'र आसमानऊँ एक तिहाई तारानै धरती प फेक दिओ। अर बो बी लूगाई क सामै जखी टाबर जलम्बाळी ह खड़्यो होगो जिऊँ जद बा टाबर जलमै जणा बो बि टाबरनै निगळज्या।
म बिऊँ बोल्यो, “म्हराज, थे जाणो हो।” जणा बो मेरूँ बोल्यो, “अ बे मिनख ह जखा कळेस भोगर आया हीं अर आपका गाबल्यानै उन्या का लोयऊँ धोर पबितर कर्या हीं।