म ईसु मसीऊँ भेजेड़ो चेलो, परमेसर को दास पोलुस आ चिठी तितूस तनै मांडूँ हूँ। म परमेसर का टाळेड़ा मिनखानै बिस्वास म बढाबा भेज्यो गयो हूँ। जिऊँ बे सचनै जाणर पबितर जीवन जीवै।
थे पाबा की इंछ्या तो राखो हो पण थानै मिलै कोनी, इ ताँई थे राड़ अर कळै करो हो, थे खून करो हो अर बळोकड़ोपूणो राखो हो जिऊँ थानै क्युं कोनी मिलै। थानै इ ताँई कोनी मिलै क्युं क थे परमेसरऊँ कोनी माँगो।
लाडलो म तो घणोई चातो हो क, थानै बि छुटकारा क बारां म मांडूँ, जिका आपा बराबर का पाँतीवाळ हां। अर मनै अंय्यां बी लाग्यो क, म थानै अ बाता मांडर बढाओ द्युँ जिऊँ थे बिस्वास म बढता रेह्ओ, ओ बो बिस्वास ह जखो परमेसर का मिनखानै दिओ गयो ह।