18 बे सच को गेलो छोड दिओ अर अंय्यां खेर क, आपानै ओज्यु जिंदगी पेल्याई मिलगी ह क्युंक बिस्वास्या का बिस्वासनै भंगरा दिआ हीं।
जणा ईसु बोल्यो, “जि बोजानै मेरो ईस्बर नगरी परम-पिता कोनी लगायो बो उपाड़्यो ज्यासी।
ईसु बाऊँ बोल्यो, “थे गळत हो। थे नइ तो सास्तरानै जाणो अर नइ परमेसर की सक्तिनै।
कांकरा प पड़बाळा बीज बे हीं जखा बचन सुणर बिनै राजी होर मानली। पण बाकै मना म बो गेराई कोनी पकड़ै बे थोड़ी देर ताँई बिस्वास करीं पण जद बानै बिचास्यो जावै जणा बे ओटा सरक ज्यावै।
पण ज इमै परमेसर की मरजी ह जणा थे आनै कोनी रोक सकोगा। कदै अंय्यां नइ होज्या क थे परमेसरऊँ लड़बाळा बाज ज्याओ।”
क्युं क इमै कोई सक कोनी क थारै मांयनै मतभेद कोनी, जिऊँ जखा मिनख खरा हीं बे सामै आ सकै।
जंय्यां की म्हें सगळा एकई समचार सुणावां हां क मसीनै मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीवायो गयो हो, जणा थारै मऊँ कोई कंय्यां खे सकै ह क बिस्वास्यानै मर्या पाछै जीवायो कोनी ज्यासी?
मसी मरेड़ा मऊँ ओज्यु जीवायो गयो इ बजेऊँ थे आत्मा म जीवाया गया हो। इ ताँई थे ईस्बर नगरी हाळी चिजानै टोल्यो। जठै मसी परमेसर का दायणै हात कानि बिका सिंघासन प बिराजर्यो ह।
बिस्वास अर साप अन्तर-आत्मा राख। क्युंक मिनख खुदकी अन्तर-आत्मा की कोनी सुणी, जिऊँ बे बिस्वासऊँ फिरगा।
क्युं क पिसा को मो सगळी बुराया की जड़ ह। क्युंक मिनख पिसा का लालच म बिस्वासऊँ मुंडो मोड़र बोळा दुख मोल ले लिआ।
क्युंक मिनख इ झूठा ज्ञान प बिस्वास करबा को दावो कर्या, अर जिको नतिजो ओ होयो क, बे सचा बिस्वास का गेलाऊँ भटकगा। थारै सगळा प परमेसर की दया होवै।
मिनखानै अ बाता याद दिवातो रेह। अर बानै परमेसर क सामै चेतार बोल क बे बेकार की बाता प नइ लड़ीं। अंय्यां करबो चोखो कोनी क्युं क बे बाता बानै सुणबाळा ताँई बिनास की जड़ ह।
ओ जरूरी होगो ह क बाको मुंडो बंद कर्यो जाय। क्युं क बे पिसा कमाबा क चकरां म आपकी सीखऊँ घर-घरनै सई सीख प बिस्वास कोनी करबा दे।
इ बजेऊँई म बि पिडीऊँ नराज रिह्यो, अर म बाऊँ बोल्यो, ‘थारो हियो सदाई भटकतो रेह्सी, अर थे मेरा गेलानै कोनी पिछाण्यो।’
ओ मेरा लाडला बिस्वास्यो, ज कोई थार मऊँ सचाई का गेलाऊँ भटक जावै अर ज कोई बिनै ओज्यु सई गेलो दिखावै ह,
मसी का बेरी आपणाऊँ निकळ्या हीं पण बे आपणा कोनी। क्युं क ज बे आपणा होता जणा आपणो संगरो कोनी छोडता, पण बे अंय्यां कर दिखा दिओ क बे आपणा मऊँ कोनी।