अर आज म जोक्यु बी हूँ परमेसर की दयाऊँ हूँ, अर बिकी दया मेर ताँई बेकार कोनी गई म दुसरा भेजेड़ा चेलाऊँ बढचढ'र मेनत करी ह। पण आ मेरी काबलीयत कोनी आ तो परमेसर की दया ह।
पण ज मेरै आबा म मोड़ो होवै जणा इ चिठीऊँ जाण ज्याए क, आपणा परमेसर को कूणबो जखो जीवता परमेसर की बिस्वासी मंडळी आ सचाई की निम अर खम्बो ह, बिकै सागै आपानै कंय्यां को बरताव करबो चाए।
जखा मिनख इ दुनिया म पिसाळा हीं बानै आदेस दे बे इपै गुमान नइ करै, पण बाकी आस, नास होबाळा धन की बजाय परमेसर म हो, जखो आपानै आपणा सुक ताँई सगळी चिजा देवै ह।