14 आदमनै भंगरायो कोनी गयो, पण लूगाई भंगराया म आर पापण बणी।
पण मनै डर ह क्युं क कदै अंय्यां नइ होज्या क जंय्यां हवानै जखी धरती की सऊँ पेली नारी ही बिनै साँप चतराईऊँ भंगरा दिओ हो, बंय्यांई थारा हियानै नइ भंगरा दे जिमै मसी ताँई थारी खरी भगती अर ईमानदारी ह।