3 जद मिनख खेसी, “सक्यु चोखो ह, अर क्युंई डर कोनी,” जणा बापै चाणचुक परकोप आ पड़सी जंय्यां चाणचुकै पेटहाळी क दरद चालू होवीं हीं। अर बे कंय्यांई कोनी बचसी।
“हे सपोलो थे काँई सोचो हो, के थे नरकऊँ बच ज्यास्यो।
जद एक लूगाई टाबर जलमै जणा बिनै पिड़ा होवै ह, क्युं क बा बिकी पिड़ा की घड़ी होवै ह। पण टाबर जलम्बा क पाछै एक टाबर क इ धरती प आबा की खुसी म बा आपकी सगळी पिड़ानै भूलर राजी होवै ह।
‘हसी करबाळो! अचरज कर मरज्यावो! क्युं क म आ दिना म अंय्यां को काम करबाळो हूँ, जिकै बारां म ज थानै कोई बतातो जणा बी थे बिपै जमाई बिस्वास कोनी करता।’”
बे परबु क सामैऊँ अर बिकाळी सक्ति की मेमाऊँ नाकै कर दिआ जासी अर जुग-जुग ताँई सजा भोगसी।
थे परमेसर का पेलीपोत की बिस्वासी मंडळी कनै आग्या हो जाका ईस्बर नगरी म नाम दरज हीं। थे बि परमेसर क कनै आग्या हो जखो सगळा को न्याय करै ह। अर धरम्या की आत्मा कनै आग्या हो जखा सिद बणग्या हीं,
जणा पाछै आपा इ बडा छुटकारा की अनदेखी कर कंय्यां बच सकां हां? इ छुटकारा को पेलो हेलो परबु कानिऊँ पाड़्यो गयो हो अर जखा बी इ हेलानै सुण्या हा बे आपणा ताँई इनै पुक्तो कर्या।
क्युं क परमेसर बा दुतानै जखा पाप कर्या हा बानैई कोनी बकस्यो। अर बानै पताळ क मांयनै अँधेरा कूंड म गेर दिओ, जिऊँ क बे न्यायहाळै दिन ताँई बिकै मांयनै केद रेह्वै।