2 क्युं क थे खुद, इ बातनै सूल जाणो हो क, परबु क ओज्यु आबा को दिन बंय्यां आसी जंय्यां रात म चाणचुक चोर आवै ह।
इ ताँई थे चेता म रेहज्यो क्युं क थे नइ तो बि दिन क बारां म अर नइ बि घड़ी क बारां म जाणो हो।
“इ ताँई चेता म रेह्वो, कदै अंय्यां नइ होज्या क थे तो लाग्या रेह्वो पीबा-खाबा अर आटा चून की चिंत्या म अर बो दिन थार प फंदा की जंय्यां आ पड़ै।
परबु ईसु मसी थानै आखीर ताँई मजबूत बणायो राखसी, जिऊँ थे आपणा परबु ईसु मसी क ओज्यु आबा का दिन म न्यायऊँ बच ज्याओ।
पण भाईड़ो, थे तो अँधकार म कोनी जिर्या, क परबु क ओज्यु आबो को दिन थार प चोर की जंय्यां चाणचुक आवै।
ज थे कोईऊँ अंय्यां सुणो क परबु क ओज्यु आबा को दिन आग्यो ह जणा थे उकचुक मना होज्यो, नइ दरमई घबराज्यो। नइ कोई आत्माऊँ, नइ बोलऊँ नइ कोई लिखावटऊँ जखी म्हारी सी क्युना लागै जणा बी बिको बिस्वास मना करज्यो।
परबु क ओज्यु आबा को दिन चोर की जंय्यां चाणचुक आज्यासी। बि दिन आसमान जोरऊँ गरजसी अर बो सुजसी कोनी। अर आसमान म जत्ता बी गरह ह बे तपर पिघळ ज्यासी, अर आ धरती अर इपै जोक्यु बी ह बो सक्यु बळ ज्यासी।
“चेता म रेह्वो, क्युं क म चोर की जंय्यां चाणचुक आऊँ हूँ! भागहाळा हीं बे जखा जागता रेह्वै ह, अर आपका गाबानै समाळै ह, जिऊँ बे सरमा नइ मरै।”
इ ताँई, जि सीखनै थे सुण्या हा बानै याद करो अर तौबा करो अर बि सीख क गेल चालो। अर ज तू अंय्यां कोनी करसी जणा म चोर की जंय्यां चाणचुक तेरै कनै आज्यास्युं अर तनै बेरो कोनी पड़बा देस्युँ।