भाईचारा अर प्यार-परेम क बारां म म्हानै मांडबा की कोई जुर्तई कोनी, क्युं क इकै बारां म थे खुदई परमेसरऊँ सीख लिआ हो क कंय्यां आपसरी म प्यार-परेम राखबो चाए।
लाडलो म तो घणोई चातो हो क, थानै बि छुटकारा क बारां म मांडूँ, जिका आपा बराबर का पाँतीवाळ हां। अर मनै अंय्यां बी लाग्यो क, म थानै अ बाता मांडर बढाओ द्युँ जिऊँ थे बिस्वास म बढता रेह्ओ, ओ बो बिस्वास ह जखो परमेसर का मिनखानै दिओ गयो ह।