“हे कपट राखबाळो धरमसास्तर्यो अर फरिसीयो! थार प धिक्कार ह। थे लोगा का ईस्बर नगरी राज म जाबाळा गेलानै रोको हो। थे नइ तो खुद बि गेलै जाओ अर नइ लोगानै बि गेलै जाबा द्यो।
पण इब थानै पाप का बंदणाऊँ छुटा लिओ गयो ह, अर थे परमेसर का दास बणगा हो, जणा जखी खेती थे काटर्या हो बा थानै पबितरता म लेज्यावै ह जिको आखरी फळ अजर-अमर जीवन ह।
ओ मेरा लाडला बिस्वास्यो, थे अजाद रेह्बा ताँई बुलाया गया हो, पण अंय्यां नइ हो क आ अजादि काया का कामानै पूरो करबा को सादन बणै। पण परेमऊँ एक दुसरा का दास बणो।
थे इ बातनै सूल जाणो हो क म्हें कदैई लालाचोपड़ी की बाता कोनी करी। अर नइ म्हें अंय्यां की कोई बाता बोली जिऊँ थारो धन लूटां , अर आ बाता को परमेसरई गुवा ह।