हारई जणा अचम्बा में पड़ग्या अन अतरो अचम्बो व्यो के, वे एक-दूँजा ने पूँछबा लागा, “यो कई हे? यो कई नुवो उपदेस हे? वो हकऊँ हुगली आत्माने आदेस देवे अन वा आत्मा वींने भी माने हे।”
ईं वाते कुई भी वींने फोरो मती हमज्यो अन जद्याँ वो मारा नके आवे तो वींने गेला में जरूत की चिजाँ का हाते हिक देज्यो, काँके मूँ दूजाँ विस्वासी भायाँ का हाते वींकी आबा की बाट नाळरियो हूँ।
परमेसर का हव हमच्यार को परच्यार कर, पलई ईंने हाराई मनक ने माने, पण ईंका केड़े भी थूँ ईंने पूरा मनऊँ करतो रे। थूँ लोगाँ ने सई कर अन वाँका पापाँ को वाँने ध्यान करान चेता। हातेई हाते वाँने उदास मती वेबा दे, वाँने सला देती दाण हमेस्यान धीरज राकज्ये।
जद्याँ कुई उपदेस हुणावे तो वींने अस्यान हूणाणो छावे जस्यान के, वो परमेसरऊँ मल्या तका बचन ने हुणारियो वेवे। यद्याँ कुई सेवा करे, तो वो वीं तागतऊँ ज्या परमेसर वींने दिदी हे वींके जस्यान सेवा करे, जणीऊँ हारी बाताँ में ईसू मसी की वजेऊँ परमेसर की मेमा वेवे। मेमा अन तागत हमेस्या वींकीइस हे। आमीन।