वींका हाताँ में वींको हुपड़ो हे जणीऊँ वो धानऊँ हुंकला ने अलग करी अन आपणाँ खेत मेंऊँ होजा किदो तका गव भेळा करन, कोठा में भरी अन हुंकला ने वीं वादी में बाळी, ज्याँ कदी ने बजे हे।”
जीवन की रोटी जा हरगऊँ उतरी हे वाँ मूँईस हूँ। यद्याँ कुई अणी रोटी ने खाई, तो वीं हमेस्यान जीवता रेई अन ज्या रोटी मूँ दनियाँ का जीवन का वाते देवूँ, वाँ मारी देह हे। अणीऊँस दनियाँ का मनक जीवता रेवे हे।”
ईं वाते थाँ आपणो अन आपणी हाराई गारा को ध्यान राको जिंने पुवितर आत्मा थाँका हात में हुप्याँ हे के, थाँ परमेसर की मण्डली की रुकाळी करो, ज्याँने परमेसर आपणाँ बेटा का लुईऊँ मोल लिदी हे।
मूँ अबे जीवतो कोयने हूँ, पण मूँ ईसू मसी में जीवतो हूँ अन मूँ अणी देह में जीवतो हूँ तो बेस ईसू पे विस्वास करबा का मस जीवतो हूँ, ज्यो परमेसर को बेटो हो अन वणी माराऊँ अतरो परेम किदो के, आपणाँ खुद ने मारा वाते दे दिदो।
परमेसर ज्यो कई करी आपणी मन की मरजी अन ते किदी तकी बात के जस्यान करी अन परमेसर आपाँने खुद का मकसद के जस्यानीस वाँके खुद की परजा बणबा का वाते ईसू मसी का हाते गट-जोड़ करन चुण्या हा, जिंने वणा पेल्याई ते कर मेल्यो हो।
आ हाँची बात हे। मूँ छावूँ हूँ के, अणी मामला में थूँ खासतोर जोर देन के, जणीऊँ परमेसर पे विस्वास करबावाळा भला काम करता रेवे। ईं बाताँ मनकाँ का वाते हव अन नफा की हे।
वो बेटो परमेसर की मेमा को उजितो हे अन जस्यान परमेसर का लकण हे, वस्यानीस वींका भी लकण हे। वो हारी चिजाँ ने आपणाँ जबरा बचनाऊँ हमाळी राके हे। मनकाँ का पापाँ ने माप करन वो हरग में जान मेमामय परमेसर का जीमणे पाल्डे बेटग्यो हे।
आ बात हाँची हे तो मसी को लुई कतरो जोरावर वेई? जणी अनंत आत्माऊँ खुद ने निरदोस बली का रूप में हमेस्या वाते परमेसर के चड़ा दिदो। वींके अस्यान करबाऊँ अन वींके लुईऊँ आपाँने मोत का आड़ीऊँ लेन जाबावाळा करमाऊँ आपणाँ मन सुद कर करी, ताँके आपाँ जीवता परमेसर की सेवा कर सका।
अबे जद्याँ थाँ हाँच ने मानता तका, हाँचा भईचारा का परेम ने बताबा का वाते आपणी आत्माने पुवितर कर लिदी हे, ईं वाते थाँ एक-दूँजा में पुवितर मनऊँ परेम करबा की मनसा बणालो।
पण थाँ तो अस्या मनक कोयने हो, थाँ तो परमेसर का थरप्या तका मनक हो, थाँ रजवाड़ी याजकाँ की टोळी अन पुवितर परवार का हो, परमेसर थाँने अंदारा का राज मेंऊँ अचम्बावाळा उजिता में लाया हे, जणीऊँ थाँ परबू का अचम्बावाळा काम का बारा में बता सको।
काँके मसी भी आपणाँ पापाँ का वाते दुक जेल्यो हो। ईंको मतलब ओ हे के, वो निरदोस हो तो भी वो आपणाँ पाप का वाते एक दाण मरग्यो, जणीऊँ वो आपाँने परमेसर का नके ले जावे। वो देह का रूप में तो मरग्यो, पण आत्मिक रूप में जिवायो ग्यो हे।
अन यद्याँ आपाँ केवा के, आपाँ वींके हाते उजिता में हा अन वींके जस्यानीस उजिता में चाला हा, तो आपाँ एक विस्वासी का जस्यान एक-दूजाऊँ मलन रेवा हा अन परमेसर का बेटा ईसू मसी को खून आपणाँ हाराई पाप ने धो देवे हे।
हो मारा प्यारा भायाँ, अबे आपाँ परमेसर का बेटा-बेटी हाँ, पण आबावाळी टेम में आपाँ कई वेवा, ईंका बारा में आपाँने ग्यान ने दिदो ग्यो हे, पण छावे ज्यो भी वे, आपाँ ओ जाणा हाँ के, जद्याँ मसी पाच्छा परगट वेई, तद्याँ आपाँ वींके जस्यान वे जावाँ, काँके जस्यान वो हे, वस्यानीस आपाँ वींने देकाँ।
वीं एक नुवो गीत गाबा लागा हा के, “थाँ ईं किताब ने अन ईंपे लागी तकी मोराँ ने खोलबा जोगो हो, काँके थाँ बली चड़न थाँका लुईऊँ हाराई कुल का मनकाँ ने, हारी बोली बोलबावाळा ने, हारी जात्या का मनकाँ ने परमेसर वाते मोल लिदो हे।