9 वीं भी हाँचा बचना पे टक्या तका रेवे, जीं धरम-उपदेस का जस्यान सई हे। जणीऊँ वाँने खरी हिक का उपदेस देबा में अन विरोद करबावाळा को मुण्डो बन्द करबा में मदत मले।
पण यद्याँ हाराई परमेसर का आड़ीऊँ बोलबा लाग जावे अन जद्याँ कुई मण्डली में अविस्वासी मनक आ जावे तो थाँका हारी बाताँ वींने वींका पाप का बारा में बता देई अन थाँके केबा का जस्यान वींको न्याव वेई।
परमेसर को परच्यार करती दाण नरई गवा की मोजुदगी में, जीं बाताँ थें माराऊँ हिकी हे, वाँने विस्वास जोगा मनकाँ ने हूँप दे, जीं दूजाँ ने हिकाबा को मन राकता वेवे।
ओ जरूरी वेग्यो हे के, वाँको मुण्डो बन्द किदो जावे, जीं ईं गलत बाताँ हिकान विस्वास्याँ का घर ने बगाड़रिया हे अन ईं हाराई नीचपणाऊँ रिप्या-कोड़ी कमावा का चकर में अस्यान करता रेवे हे।
हो लाड़ला भायाँ, मूँ तो घणो छावतो हो के, थाँने वीं छूटकारा का बारा में लिकूँ, जिंका आपाँ पांतीदार हा। मने अस्यान भी लागे हे के, मूँ थाँने ईं बाताँ लिकन हिम्मत देऊँ जणीऊँ थाँ विस्वास में बड़ता रेवो, ज्यो विस्वास परमेसर का पुवितर मनकाँ ने दिदो ग्यो हो।
ईं वाते जणी हिक ने थाँ हूणी ही, वींने आद करो अन आपणो मन बदलो अन वीं हिक का जस्यान चाल चालो। जद्याँ थूँ अस्यान ने करी, तो मूँ चोर का जस्यान अणाचेत को थाँरा नके अई जाऊँ अन थने पतो भी ने पड़बा देऊँ।