11 ओ जरूरी वेग्यो हे के, वाँको मुण्डो बन्द किदो जावे, जीं ईं गलत बाताँ हिकान विस्वास्याँ का घर ने बगाड़रिया हे अन ईं हाराई नीचपणाऊँ रिप्या-कोड़ी कमावा का चकर में अस्यान करता रेवे हे।
“ओ कपटी, मूसा का नेमा ने हिकाबावाळा अन फरीसियाँ, थाँने धिकार हे! थाँ मनकाँ का वाते हरग का राज को बारणो बन्द करो हो, ने तो थाँ खुद परवेस करो हो अन ने वींमें परवेस करबावाळा ने परवेस करबा देवो हो।
पण दानकी पे गारा ने चराबावाळो ने तो हव गवाळ्यो वेवे हे अन ने गारा को मालिक वेवे हे। ईं वाते जद्याँ बरगड़ा ने आतो देके, तो गारा ने हुन्ना छोड़न भाग जावे हे अन बरगड़ो वाँने पकड़बा का वाते जपटा मारन वाँने बखेर देवे हे।
आपाँ जाणा हे के, नेम ज्यो कई केवे हे, वाँने केवे हे ज्यो नेमा का बंस में हे। अणीऊँ हाराई का मुण्डा बन्द किदा जा सके अन हारी दनियाँ परमेसर का दण्ड के जोगी वे।
अन वाँ घर-घर फरन आपणो टेम बगाड़णो हिक जावे हे, अन अणीऊँ भी हेलो वाँ फोकट की बाताँ करणी अन दूजाँ का काम में टाँग अड़ाणी हिक जावे हे। जणा बाताँ का बारा में बात ने करणी छावे, वाँका बारा में बाताँ करे हे।
परमेसर का काम ने आपणाँ हाताँ में लेबा का वाते एक मण्डली का परदानाँ में ओ जरूरी हे के, वींमें एक भी खोट ने वेणी छावे। वीं ने तो घमण्डी वेवे, ने फटाकऊँ गुस्सो करबावाळा वेवे, नेईं पियावाळा, ने लड़ायाँ करबावाळा अन नेई रिप्या-कोड़ी का लालची वेवे।
वीं भी हाँचा बचना पे टक्या तका रेवे, जीं धरम-उपदेस का जस्यान सई हे। जणीऊँ वाँने खरी हिक का उपदेस देबा में अन विरोद करबावाळा को मुण्डो बन्द करबा में मदत मले।