7 अन ने ईं अबराम का वंसज का वेबा की वजेऊँ वीं अबराम की ओलाद हे। पण जस्यान परमेसर अबरामऊँ क्यो हे के, “थाँरो बंस इसाकऊँ बड़ी।”
अन आपणाँ-आपणाँ मन में यो ने होचो के, ‘आपीं अबराम का बंसज हा’ काँके, मूँ थाँकाणी केवूँ हूँ के, परमेसर अबराम का वाते अणा भाटाऊँ भी बाळक पेदा कर सके हे।
पण, वणी वाँकाऊँ क्यो, “ओ बापू, अबराम यूँ ने, यद्याँ मरिया तकाऊँ कुई वाँका नके जाई तद्याँईस वी मन बदली।”
थाँको वेवार अस्यो वेणो छावे के, थाँ मन फेर लिदो हे। थाँ आपणाँ-आपणाँ मना में यो मती होचो के, ‘आपीं अबराम का बंस का हा।’ मूँ थाँकाऊँ केऊँ हूँ के, परमेसर अणा भाटाऊँ अबराम का वाते ओलाद जण सके हे।
ईं वाते वणा ईसुऊँ पूँछ्यो, “माँ अबराम की बंस हा, माँ कदी भी किंका गुलाम ने रिया। तो थूँ ओ कस्यान के सके हे के, ‘थाँ आजाद वे जावो’?”
पण ज्यो दासीऊँ पेदा व्यो, वो देह का रिति-रिवाजऊँ व्यो अन ज्यो वींकी घरकीऊँ व्यो, वो परमेसर का अबरामऊँ किदा तका वादा को फळ हो।
ओ भायाँ, ईं वाते आपाँ भी अबराम का बेटा इसाक के जस्यान वादा का छोरा-छोरी हा।
हाँचा खतनावाळा तो आपींइस हा काँके परमेसर की आत्माऊँ वींकी भगती आपींइस करा हाँ अन आपीं आपणो भरोसो दिकबावाळा रिति-रिवाज पे ने पण ईसू मसी पे मेपणो राका हाँ।