किंका दूजाँ के दास को न्याव करबावाळा थाँ कूण वेवो हो? वीं सफल वेई के, ने वेई ईं बात को न्याव करबावाळो वाँका खुद को मालिक हे। अन वीं सफल वेई, काँके परबू वाँने सफल बणाबा की तागत राके हे।
ईं वाते हे न्याव करबावाळा पलई थूँ कुई भी वे, थाँरा नके कई आळको ने हे, काँके जणी काम का वाते थूँ किंने दूजाँ ने दोसी माने हे, वणीऊँस थूँ आपणाँ खुद ने भी दोसी केवाड़े हे, काँके जणा कामाँ को थूँ न्याव करे हे वाँने थूँ खुद भी करे हे।
एक मोटा घर में हरेक तरियाँ का ठामड़ा वेवे हे, कुई टिंढका अन चिकणा गारा का बण्या तका, कुई होना अन चाँदी का, कुई खास मोको का वाते अन कुई घर में रोज काम में लेबा का वाते वेवे हे।