15 काँके वणा मूसाऊँ क्यो हो, “में जिंपे करपा करबा की होचूँ, वींपे करपा करूँ। अन जिंपे भी बाळ करणो छावूँ, वींपे बाळ करूँ।”
तो आ बात ने तो किंकी मरजीऊँ वेवे अन नेई कई मेनत करबाऊँ, पण आ तो परमेसर की दया की बात हे।