पण मूँ आपणाँ जीव ने कई ने हमजूँ। मूँ तो बेस वीं दोड़ अन सेवा का काम ने पूरो करणो छारियो हूँ, जिंने में परबू ईसुऊँ पाई हे, जो परमेसर की करपा का हव हमच्यार की गवई देणो हे।”
वो किताब को जो भाग भणरियो हो वो अस्यान हो। “वींने बली वेबावाळा गारा का जस्यान ले जारिया हा। वो तो वीं उन्याँ का जस्यान छानो-मानो हो, जो आपणी ऊन काटबावाळा का हामे छानो रेवे।
काँके मने अस्यान लागरियो हे के, परमेसर माँ खन्दाया तका ने मोत को दण्ड दिदो जा चुक्या मनकाँ का जस्यान हाराईऊँ अंत में राक्या हे, काँके आपाँ आकी दनियाँ अन हरग-दुताँ अन मनकाँ का वाते तमासो बणा हा।
अन माँ माकाँ हरदा में आ बात होचबा लागा के, माँने तो मोत को दण्ड मलग्यो हे, जणीऊँ माँ खुद पे हेलो भरोसो ने करन परमेसर पे भरोसो राका हा, ज्यो मरिया तका ने भी पाच्छा जीवता कर देवे हे।
कई वींइस मसी का दास हे? मूँ बेण्डा के जस्यान कूँ हूँ, मूँ वणाऊँ भी बड़न मसी को दास हूँ। वाँकाऊँ हेली मेनत करबा में, नरी दाण जेळ में बन्द वेबा में, कोड़ा की मार खाबा में, आकोदाण मोत का मुण्डो में जाबा में,
माँने फोगट्या हमजे हे जद्याँ के माँ तो मान्याँ तका हाँ अन माँने मरिया तका जाणे हे, जद्याँ के माँ तो जीवता हाँ। माँने दण्ड पाबावाळा का जस्यान जाणे हे, तद्याँ भी माँ मोत ने ने हुप्याँ जावाँ हाँ