32 जणी आपणाँ बेटा ने भी राक्यो, पण आपणाँ हाराई वाते मरबा का वाते दे दिदो। तो पछे वीं वींके हाते आपाँने हारोई काँ ने देई?
तद्याँ आ आकासवाणी वी के, “यो मारो लाड़लो पूत हे, जणीऊँ मूँ घणो राजी हूँ।”
ईं वाते यद्याँ थाँ बुरा वेता तका भी आपणाँ छोरा-छोरी ने हव चिजाँ देणी हव हमज्यो हो, तो थाँरो हरग को बाप परमेसर माँगबावाळा ने हव चिजाँ काँ ने देई?
काँके परमेसर जगतऊँ अस्यान परेम किदो, वणा आपणाँ एकाएक पूत ने दे दिदो, ताँके ज्यो कुई वींपे विस्वास करे, वी नास ने वेई, पण अनंत जीवन पाई।
जद्याँ परमेसर असली डाळ्याई ने छोड़ी, तो वो थाँने भी ने छोड़ी।
ईसू ने आपणाँ पाप का वाते मरबा दिदो ग्यो अन आपाँने धरमी बणाबा का वाते मरिया तकाऊँ पाछो जिवायो ग्यो।
काँके पाप को मोल तो मोत हे पण आपणाँ परबू ईसू मसी में परमेसर को वरदान अनंत जीवन हे।
अन आपाँ जाणा हा के, ज्यो मनक परमेसरऊँ परेम राके हे, वणा का वाते हारी बाताँ मलन भलई लावे हे। जीं परमेसर का मकसद का जस्यान बलाया ग्या हे।
पण आपाँ तो दनियाँ की आत्माने पई पण वाँ आत्मा पई हे, ज्याँ परमेसर आपाँने खुला मनऊँ दिदी हे, ताँके आपीं वणा बाताँ ने जाणा ज्यो परमेसर आपाँने दिदी हे।
ईं हारी चिजाँ थाँका वातेईस किदी जारी हे, जणीऊँ नरई मनकाँ पे परमेसर की दया वे अन वीं अणीऊँ परमेसर ने धन्नेवाद दे सकी अन परमेसर ने खुब मेमा मली।
अन जणी कदीई पाप ने किदो वींने परमेसर आपणाँ पापाँ का वाते बली बणायो जणीऊँ आपाँ परमेसर का हामे सई मान्याँ जावाँ।
अणीऊँ माँ घणा दकी हाँ, पण हमेस्यान राजी रेवा हाँ। माँ गरीब हा, पण माँ तो नरई ने धनवान बणावा हाँ। माकाँ नके कई ने हे, जद्याँ के माकाँ नके हारोई हे।
हाँचो परेम ओ ने हे के, आपाँ परमेसरऊँ परेम किदो, पण वो ओ हे के, परमेसर आपाऊँ परेम किदो अन आपणाँ पाप धोवा का वाते आपणाँ बेटा ने बलीदान वेवा का वाते खन्दा दिदो।
जो जे पाई वोईस अणा हारी चिजाँ को मालिक वेई। मूँ वींको परमेसर वेऊँ अन वो मारो बेटो वेई।